उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने सोमवार को अचानक गाजियाबाद में इ’स्ला’म छोड़ स’नातन’ ध’र्म कबूल कर लिया। उन्होंने अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रख लिया है। सनातन ध’र्म स्वीकार करने के 5 घंटे बाद वसीम रिजवी ऊर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने दैनिक भास्कर से हर मुद्दे पर खुलकर बातचीत की। इस दौरान त्यागी ने कहा कि इ’स्ला’म का दूसरा नाम ही आ”तंक है, जिसकी शुरुआत 1400 साल पहले अरब के रेगिस्तान में हुई थी।
सवाल: आपने ध’र्म परिवर्तन क्यों किया, इ’स्ला’म से क्या दिक्कत थी?
जवाब: मैंने इ”स्ला”म को छोड़ा नहीं है। मुझे तो वहां से निकाला गया है। हम तो इ”स्ला”म को बदलना चाहते थे। जो इ”स्ला”म को मानने वाले हैं, जो कु”रा”न को अ”ल्ला”ह की किताब कह रहे हैं, वे गलत हैं। कु”रा”न के अनुसार, एक व्यक्ति दूसरे का सि”र का”टता है तो वह ध”र्म के आधार पर सही है, लेकिन इंसानियत के खिलाफ है। मुझे इ’स्ला”म से निकाला गया, क्योंकि मैंने राम जन्मभूमि पर बोला। मो’हम्म’द के बारे में मैंने कहा कि वे अ’ल्ला’ह के मैसेंजर नहीं हैं, वे एक अ”हंका’री व्यक्ति थे।
आज दुनिया में इ”स्लाम आ”तंक के नाम से पहचाना जाता है। इस्लाम का दूसरा नाम ही आ”तंक है। इस आ”तं’क की शुरुआत 1400 साल पहले मोह”म्मद ने अरब के रेगिस्तान में की थी। अब मैं स’नात’न ध’र्म में आ गया हूं और अब यही रहूंगा और म”रुंगा भी यहीं।
सवाल: इ’स्लाम ध”र्म में आपको क्या बुराइयां दिखीं?
जवाब: इ’स्ला’म’में कोई अच्छाई है ही नहीं। अब तो उसको बदलना पड़ेगा। हाल ही में पाकिस्तान में श्रीलंका के एक अधिकारी को बीच सड़क पर मा”रा गया और वहां एक म’ज’हब के लोग उसके ज”ल”ते ”रीर के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। ये इं”सा”नि’यत के लिए बे’हद श’र्मनाक बात है। मज’हब केवल प्यार सिखाता है। दुनिया का सबसे पहला ध’र्म सना’तन ही है। मेरा अब सनातन ध’र्म के लिए त्याग करना ही मकसद है और मैं मानव सेवा के लिए ये सब करता रहूंगा।
सवाल: हिं”दू ध’र्म में कई वर्ग और जातियां होती हैं, आप खुद को किस वर्ग का मानते हैं?
जवाब: आज मैं स’नातन ध’र्म में आया हूं। त्यागी परिवार ने पिता को एक औलाद दी है। भाई को एक भाई दिया है।
सवाल: क्या आपने पूरे परिवार के साथ ध’र्म परिवर्तन किया है?
जवाब: कोई तैयार हो या ना हो मैं अपने फैसले खुद लेता हूं। उसमें कोई पंचायत नहीं करता। मैंने फैसला लिया है कि जब हमें बार-बार इ’स्ला’म’ से निकाला जा रहा है तो मैं अपना ध’र्म चुन लेता हूं और मैंने अब वही किया है।
सवाल: क्या आपने स’नातन ध’र्म अपनाने से पहले अपने परिवार को बताया था?
जवाब: मैंने अभी अपने परिवार को इस बारे में नहीं बताया है। अगर वे मेरे साथ स’नात’न ध’र्म में आते हैं तो ध”’र्म के मामले में मेरे उनके अच्छे संबंध रहेंगे। उनको भी इ”स्ला”म छोड़ देना चाहिए। अगर वो इ”स्ला”म नहीं छोड़ते हैं तो मैं उनका त्याग करने को तैयार हूं।
सवाल: क्या आप मानते हैं कि बा”ब’री म”स्जि’द’ मं’दि’र तोड़कर बनाई गई थी ?
जवाब: मैं अकेला ऐसा मु’स’ल”मान हूं, जिसने सुप्रीम कोर्ट में ह’ल”फ’नामा देकर कहा था कि मं’दिर को तो’ड़कर म’स्जि’द बनाई गई थी। मैं यही चाहता था कि वह हिं’दु’ओं की जगह है और हिं’दु’ओं को दी जाए और वहां रा’म’ मं’दि’र बनाया जाए।
सवाल: क्या आपको अपनी जा”न का ‘ख’त’रा है?
जवाब: मुझे तो तब भी ड”र था जब मैं मु”सल’मान’ था और वे आए दिन मुझे ध”र्म से निकालते थे। वे तो मेरे पहले भी दु’श्म’न थे और आज भी दु’श्मन हैं। मेरा एक ही सि’र है, जिसे वे का”टने’ पर तु”ले हुए हैं।