बच्चों को पढ़ाने जाया करती थी फातिमा, प्राइमरी टीचर से IAS बन फहराया परचम

वह शिक्षा ही तो है जो आपके जीवन में पूरी तरह से बदलाव ला देता है और शिक्षित होने के बाद आप दूसरे के जीवन को भी बदल सकते हैं। एक ऐसी ही शिक्षिका हैं जो हर रोज़ कई किलोमीटर पैदल चलकर बच्चों को पढ़ाने जाती थी। और घर आने के बाद यूपीएससी परीक्षा UPSC Exam की तैयारी करती। आज अपने मेहनत के दम पर वह बन चुकी हैं एक IAS ऑफिसर। आज का यह आर्टिकल एक ऐसी शिक्षिका के बारे में है, जिसके सामने 8 किलोमीटर की दूरी भी घुटने टेक दिए।

दूरी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। शिक्षिका बनने के बाद उन्हें हर रोज 8 किलोमीटर दूर पैदल चलकर बच्चों को पढ़ाने जाना पड़ता था। उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के जसरा गांव की रहने वाली सीरत फातिमा ने अपने मेहनत के दम पर IAS बनकर समाज में एक उदाहरण पेश किया है। इनके पिता लेखपाल का काम करते हैं। अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण इनके ऊपर छोटी उम्र में ही बहुत जिम्मेदारी आ गई थी। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं थी।

रोजाना आठ किमी पैदल चलकर पढ़ाने जाती थीं स्कूल, खुद से तैयारी कर आईएएस बनीं  सीरतजिससे यह बाहर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। जबकि इनका सपना था की यह बड़ी होकर एक अधिकारी बनेंगी। लेकिन इन्हें अपने सपने को पूरा करने में काफी समय लग गए क्योंकि इनके पैरों को परिवार की जिम्मेदारियों ने पूरी तरह से जकड़ा था। अपने सपनों के ख्यालों में डूबी फातिमा ने 12वीं पूरी करने के बाद साइंस में ग्रेजुएट किया और ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने एक शिक्षक बनने के लिए B.Ed की डिग्री हासिल की। B.Ed करते ही इनकी नौकरी एक प्राइमरी स्कूल में लग गई।

चूंकि इनका सपना एक अधिकारी बनने का था लेकिन फिर भी यह अपने टीचर की नौकरी को छोड़ नहीं सकती थी क्योंकि इनके ऊपर इनके छोटे भाई बहन के पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारियां भी थी। इसलिए इन्होंने उस समय इस नौकरी को ज्वाइन कर लिया। लेकिन साथ में अपने सपने को टूटने भी नहीं दिया। सीरत फातिमा को स्कूल के लिए रोज 8 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। और घर आकर थकान होने के बावजूद भी यह एक आईएएस अधिकारी बनने के लिए पूरी तरह से अपने पढ़ाई पर फोकस करती।

8 किमी पैदल जाती थी स्कूल, प्राइमरी टीचर से IAS बन फहराया परचम - Education  AajTakजब कभी फातिमा स्कूल में अपने कलीग्स को यह कहती कि वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करती हैं तो बाकी टीचर्स यही कहते हैं कि इतने बड़े सपने भी मत देखो जो पूरा ना हो पाए। क्योंकि यूपीएससी परीक्षा के लिए किसी बड़े शहर में जाकर अच्छे कोचिंग में तैयारी करनी पड़ती है। लेकिन फातिमा ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और लगातार अपनी नौकरी के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखीं। सीरत फातिमा B.Ed करने के दौरान ही 2 बार यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुई थी, लेकिन कमजोर तैयारी के कारण उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी।

काफी तैयारी करने के बाद सिर्फ फातिमा को अपने तीसरे प्रयास में भी सफलता नहीं मिली। लेकिन फिर भी वह अपने पथ पर अटल रही। उनकी मेहनत का फल उन्हें मिला और वर्ष 2017 में सीरत फातिमा अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में पूरे देश भर में 810वीं रैंक हासिल की। इसी के साथ उन्होंने अपने और अपने पिता के सपने को पूरा किया, क्योंकि उनके पिता की हमेशा से ख्वाहिश थी की उनकी बेटी पर पढ़-लिखकर एक बड़े अधिकारी बने। वह इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस मे कार्यरत हैं।

फातिमा आपने इस सफलता से इतनी खुश हुई कि उन्होंने पूरे स्कूल के बच्चों में मिठाइयां बांटी। अब सीरत फातिमा की शादी भी हो चुकी है। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के बाद भी हॉयर रैंक पाने के लिए लगातार मेहनत कर रही हैं। इस तरह सीरत फातिमा ने सभी प्राईमरी शिक्षक के साथ पूरे समाज के लिए एक नया मिसाल कायम किया है।

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