दोस्तों जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है और खास कर महिला के जिंदगी में तो और संघर्ष होती है आपको बता दूँ की एक महिला का अपना घर आगे चलकर पराया हो जाता है. जब शादी हो जाती है तो और दोस्तों एक महिला के जिंदगी में दुःख का पहाड़ तब टूट जाता है.
और उसके ऊपर जिम्मेदारी भी खूब बढ़ जाती है. दोस्तों आज के इस खबर में हम बात करने वाले है एक ऐसी महिला महिला के बारे में जिसके जीवन में जब सब कुछ जड़ जाता है तब भी वो हार नहीं मानती है. और अपने जीवन में हमेशा संघर्ष करती है. और अपने बच्चो को कभी अपने दुःख का एहसास नहीं होने देती है.
दोस्तों दरअसल हम बात कर रहे है संध्या नाम के मध्य प्रदेश के कटनी स्टेशन के समीप रहने वाली एक महिला के बारे में जो की कटनी स्टेशन पर 50 मर्दों के बिच अकेले कुली का काम करती है. चलिए ज्कानते है दोस्तों उसके बारे में….
दोस्तों संध्या बेहद साधारण परिवार से आती है और संध्या शादी शुदा होने के बाद इनके बाल-बच्चे होने के बाद इनके पति की मौत हो जाती है. और मौत होने के बाद इन्हों एहार नहीं मनाई और कुली की नौकरी शुरू कर दी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए.
और 50 मर्दों के बीच ये अकेली महिला कुली है दोस्तों संध्या अपने गाँव के पास के ही कटनी स्टेशन पर काम करती है. और आगे चलकर संध्या अपने नाम के लाइसेंस भी बनबा ली थी. और संध्या का कहना है की हम इज्जत की रोटी खाते है और इसी के पैसे से अपने बच्चे को भी पढाते है.