पिता प्रोड्यूसर चाचा डायरेक्टर तो भाई हैं सुपरस्टार , इतने बड़े फिल्मी परिवार के बावजूद क्यों गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं फैसल खान?

फैसल खान ने अपने चाचा नासिर हुसैन की 1969 की फिल्म ‘प्यार का मौसम’ में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी, और उस वक्त वह महज 3 साल के थे और फिल्म में उन्होंने एक बच्चे के रूप में शशि कपूर की भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1988 में अपने भाई आमिर की फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ में एक खलनायक के रूप में एक छोटी भूमिका निभाते हुए एक वयस्क के रूप में अपनी फिल्म की शुरुआत की थी।

उन्होंने अपने पिता की 1990 की फिल्म ‘तुम मेरे हो’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया, जिसमें उनके भाई आमिर ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फैसल को पहली लीड रोल वाली फिल्म ‘मदहोश’ मिली, जो साल 1994 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जो उनके पिता द्वारा निर्मित और विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित थी. अपनी पहली लीड रोल वाली फिल्म से उन्हें कुछ ज्यादा फायदा नहीं मिला और फिर डेब्यू फिल्म के बाद ही उन्होंने 6 साल की ब्रेक लिया। उन्होंने अपने पिता की 1990 की फिल्म ‘तुम मेरे हो’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया, जिसमें उनके भाई आमिर ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फैसल को पहली लीड रोल वाली फिल्म ‘मदहोश’ मिली, जो साल 1994 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जो उनके पिता द्वारा निर्मित और विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित थी। अपनी पहली लीड रोल वाली फिल्म से उन्हें कुछ ज्यादा फायदा नहीं मिला और फिर डेब्यू फिल्म के बाद ही उन्होंने 6 साल की ब्रेक लिया।

ब्रेक के बाद, उनकी दूसरी फिल्म साल 2000 में आई थी, जिसका नाम था ‘मेला’. इस फिल्म में उनके साथ आमिर खान भी नजर आए थे और साथ में थीं ट्विंकल खन्ना. फइल्म का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन तो ठीकठाक रहा, लेकिन इससे फैसल को ज्यादा फायदा नहीं हुआ और इसके बाद वह कुछ और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते नजर आए। ब्रेक के बाद, उनकी दूसरी फिल्म साल 2000 में आई थी, जिसका नाम था ‘मेला’ इस फिल्म में उनके साथ आमिर खान भी नजर आए थे और साथ में थीं ट्विंकल खन्ना. फइल्म का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन तो ठीकठाक रहा, लेकिन इससे फैसल को ज्यादा फायदा नहीं हुआ और इसके बाद वह कुछ और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते नजर आए।

कुछ समय के लिए फैसल ने टीवी की ओर भी अपना रुख किया था, लेकिन सफलता उन्हें यहां भी नहीं मिली और साल 2005 में वह आखिरी बार बड़े पर्दे पर नजर आए, और उस फिल्म का नाम था ‘चांद बुझ गया’. इतने बड़े फिल्मी परिवार से आने के बावजूद वह फिल्मों में सफल नहीं हो पाए या ये कह लें कि वह अपनी तकदीर को नहीं बदल पाए और उनका करिअर देखते ही देखते डूब गया। कुछ समय के लिए फैसल ने टीवी की ओर भी अपना रुख किया था, लेकिन सफलता उन्हें यहां भी नहीं मिली और साल 2005 में वह आखिरी बार बड़े पर्दे पर नजर आए, और उस फिल्म का नाम था ‘चांद बुझ गया’. इतने बड़े फिल्मी परिवार से आने के बावजूद वह फिल्मों में सफल नहीं हो पाए या ये कह लें कि वह अपनी तकदीर को नहीं बदल पाए और उनका करिअर देखते ही देखते डूब गया।

वहीं, पिछले ही साल फैसल ने आमिर और अपने परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि साल 2007-08 में फैसल ने अपने परिवार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने पर आरोप लगाया था कि उनके भाई आमिर उन्हें दीमागी तौर पर बीमार बताते हुए उन्हें घर में कैद कर दिया था, जबकि उनका कहना था कि वह बिलकुल ठीक थे. उन्होंने ये भी कहा था कि उन्हें गलत दवाइयां दी जाती थी।

वहीं, पिछले ही साल फैसल ने आमिर और अपने परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि साल 2007-08 में फैसल ने अपने परिवार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने पर आरोप लगाया था कि उनके भाई आमिर उन्हें दीमागी तौर पर बीमार बताते हुए उन्हें घर में कैद कर दिया था, जबकि उनका कहना था कि वह बिलकुल ठीक थे। उन्होंने ये भी कहा था कि उन्हें गलत दवाइयां दी जाती थी।