मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी

Scientists behind chandrayaan-3 hindi: ISRO ने तीसरा Moon Mission ‘Chandrayaan-3’ कल दोपहर यानी 14 जुलाई को क़रीब 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद Satish Dhawan Space Centre से लॉन्च कर दिया है. माना जा रहा ये क़रीब 42 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रमा के South Pole के पास लैंड करेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे बनाने में 615 करोड़ की लागत आई है.

Chandrayaan-3 को चांद पर भेजने के लिए LVM-3 Launcher का इस्तेमाल किया गया. ये मिशन चौबीसों घंटे काम करने वाले सैकड़ों वैज्ञानिकों के वर्षों की मेहनत का परिणाम है. आइये, मिलवाते हैं (Scientists behind chandrayaan-3 hindi) आपको Chandrayaan-3 के पीछे मौजूद महत्वपूर्ण लोगों से.

1. एस. सोमनाथ (ISRO के चेयरमैन)

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Scientists behind chandrayaan-3 hindi: ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ को इस Moon Mission के पीछे का मुख्य ब्रेन माना जाता है. एस. सोमनाथ गगनयान और आदित्य-एल1(Mission to Sun) जैसे मिशन का भी मुख्य हिस्सा रहे हैं. उनकी एजुकेशन की बात करें, तो उन्होंने TKM College of Engineering (Kollam) से B. Tech in Mechanical Engineering की है. साथ ही Indian Institute of Science (Bangalore) से Masters (M. Tech) in Aerospace Engineering की पढ़ाई की है.

इसरो के हेड बनने से पहले एस. सोमनाथ Liquid Propulsion Systems Centre और Vikram Sarabhai Space Centre के भी डायरेक्टर रह चुके हैं.

2. पी. वीरमुथुवेल (Chandrayaan-3 project के डायरेक्टर) 

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पी वीरमुथुवेल ने साल 2019 में चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी ली थी. वर्तमान पद से पहले वो इसरो हेडक्वार्टर के Space Infrastructure Programme Office में डिप्टी डायरेक्टर थे. पी. वीरमुथुवेल चंद्रयान 2 मिशन के भी मुख्य वैज्ञानिकों में से एक थे.

पी.वीरमुथुवेल तमिलनाडु के रहने वाले हैं और Indian Institute of Technology (Madras) के छात्र रह चुके हैं.

3. एस. उन्नीकृष्णन नायर (Vikram Sarabhai Space Centre के डायरेक्टर)

 

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Scientists behind chandrayaan-3 hindi: VSSC के हेड बनने से पहले एस. उन्नीकृष्णन नायर और उनकी वैज्ञानिकों की टीम कई महत्वपूर्ण मिशन के Key Functions के इनचार्ज रह चुकी है. Geosynchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV) जिसे बाद में Launch Vehicle Mark-III नाम दिया गया, वो VSSC में डेवलप किया गया था.

एस. उन्नीकृष्णन ने Mar Athanasius College of Engineering से बी.टेक की डिग्री हासिल की है. इसके अलावा, IISc, Bengaluru से ME in Aerospace Engineering और IIT Madras से PhD in Mechanical Engineering की पढ़ाई पूरी की है.

4. ए. राजराजन (Launch Authorisation Board के चेयरमैन)

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Scientists Behind ISRO Moon Mission in hindi: ए. राजराजन एक सफल वैज्ञानिक और वर्तमान में Satish Dhawan Space Centre SHAR (SDSC SHAR) के डायरेक्टर हैं. ए. राजराजन composite क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं. इन्होंने 1987 में Bachelor of Engineering in Mechanical Engineering की पढ़ाई पूरी की थी. वहीं, 2015 में इन्हें ISRO Merit award से सम्मानित किया गया था. साथ ही 2010, 2011 और 2015 में इन्हें ISRO Team excellence awards दिया गया था.

ये भी देखें: Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र 

5. एम. शंकरन (U R Rao Satellite Centre के डायरेक्टर) 

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Scientists behind chandrayaan-3 hindi: साल 2021 में एम. शंकरन ने U R Rao Satellite Centre के डायरेक्टर का पद संभाला था. U R Rao Satellite Centre सैटेलाइट के निर्माण और एसोसिएटेड सैटेलाइट तकनिक के विकास के लिए एक अग्रणी केंद्र है. इन्होंने Bharathidasan University (Tiruchirappalli) से Physics में Master’s degree हासिल की है.

साथ ही इन्हें 2017 में ISRO’s Performance Excellence Award से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा, 2017 और 2018 में इन्हें ISRO Team Excellence award दिया गया था.

6. एस. मोहन कुमार (मिशन डायरेक्टर)

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Scientist behind chandrayaan-3 hindi: LVM3-M4/Chandrayaan 3 के मिशन डायरेक्टर हैं एस. मोहन कुमार. मोहन कुमार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के सीनियर साइंटिस्ट हैं. ये LVM3-M3 mission (Oneweb India 2 satellites on board) के भी डायरेक्टर रह चुके हैं.

7. रितु करिधाल श्रीवास्तव

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रितु कारिधाल लखनऊ की रहने वाली हैं, जिन्हें Rocket Woman of India के नाम से जाना जाता है. रितु ISRO की सीनियर साइंटिस्ट हैं. वहीं, इससे पहले वे चंद्रयान-2 समेत कई बड़े Space Missions का हिस्सा रह चुकी हैं. इन्हें ISRO का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिल चुका है.

इन मुख्य वैज्ञानिकों के अलावा चंद्रयान-3 मिशन से क़रीब 54 महिला इंजीनियर्स और वैज्ञानिक भी जुड़ी हुई थीं.