बॉलीवुड के मशहूर सिंगर और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने एक बार फिर से पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में बैन करने के मुद्दे को उठाया है। पश्चिम बंगाल के आसनसोल से बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बॉलीवुड पाकिस्तानी कलाकारों को बैन कर दे। इसके लिए उन्होंने राहत फतेह अली खान के गाए फिल्म ‘वेलकम टू न्यूयॉर्क’ के गाने को हटाने की मांग की है। बहुत से ऐसे पाकिस्तानी कलाकार हैं जिन्हें सही मायने में पहचान और लोकप्रियता इंडिया आकर ही मिली है। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही पाकिस्तानी कलाकारों पर जो बॉलीवुड में काम करके मालामाल भी हो गए…
बॉलीवुड में राहत फतेह अली खान की गायकी का सफर 2003 में पूजा भट्ट के निर्देशन में हुआ। जब उन्होंने ‘पाप’ फिल्म के गाने ‘लागी तुझ से मन की लगन’ को अपनी आवाज से सजाया। इस गाने के बाद से राहत की प्रसिद्धि दिन प्रतिदिन बढती गई। तब से आज तक उनके गाए हुए गीतों ने लोकप्रियता की नई ऊँचाइयों को छुआ है। भारत में राहत की फैन फॉलोइंग करोड़ों में है।
अपने भारी शरीर से फेसम हुए अदनान सामी ने तो भारतीय नागरिकता ही ले ली। 2002 में आशा भोसले के साथ गए अपने गीत ‘कभी तो नजर मिलाओ’ से अदनान रातों-रात भारत में स्टार बन गए। अदनान बॉलीवुड में भी प्लेबैक करने लगे। कड़ी मेहनत से कई किलो वजन कम करने वाले अदनान ने हाल ही में सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ में ‘भर दो झोली मेरी’ कव्वाली गाई थी।
सिंगर-एक्टर आतिफ असलम जितना पाकिस्तान में मशहूर हैं, भारत में भी उनकी उतनी ही लोकप्रियता है। 2004 में रिलीज हुए अपने एल्बम ‘जल’ से हीट होने वाले आतिफ ‘दूरी सही जाए ना’ से लोगों के फेवरेट बन गए।
अपनी बोलती आंखे, दिलकश दाढ़ी मूंछों से भारत की लड़कियों के दिलों में राज करने वाले फवाद अलाम का अलग ही स्वैग है। भारत में ‘जिंदगी’ चैनल पर प्रसारित होने वाले पाकिस्तानी सीरियल ‘जिंदगी गुलजार है’ में मुख्य भूमिका निभाने वाले फवाद खान ने ‘खूबसूरत’ से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। सोनम कपूर के साथ उनकी जोड़ी देखते ही बन रही थी। हालांकि ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की कंट्रोवर्सी के बाद उन्हें पाकिस्तान लौटने पर मजबूर होना पड़ा।
सुरेश ओबरॉय का जन्म 17 दिसम्बर 1946 को क्वेटा, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान में) में ‘विशाल कुमर ओबेरॉय’ हिन्दू खत्री परिवार में हुआ। भारत के विभाजन के बाद पिता आनंद सरूप ओबेरॉय व माता करतार देवी के साथ अमृतसर से होते हैदराबाद पहुंचे।
एक्टर सुरेश ओबेरॉय पढ़ाई से ज्यादा खेल में रुचि लेते थे। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया। सुरेश टेनिस और स्विमिंग के कई प्रतियोगिताओं में चैंपियन रहे हैं। सुरेश का बचपन कठिनाइयों में बीता। लेकिन उनका अभिनय से खास लगाव था जब वो हाई स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बावजूद उन्होंने अपने अभिनय के प्रति जुनून के चलते मुंबई की तरफ रुख कर लिया और फिल्मी दुनिया में आ गए।