बूटा सिंह और जै़नब की लव स्टोरी पर बनी थी ‘गदर’, कहानी का अंत है बेहद दर्दनाक

क्या आप जानते हैं कि गदर की कहानी काल्पनिक नहीं बल्कि असल जिंदगी पर आधारित है। यह गदर की कहानी ब्रिटिश आर्मी में सेवा देने वाले एक सिख पूर्व सैनिक बूटा सिंह की असल जिंदगी पर बनी है।

जब किसी से सच्चा प्यार हो जाता है तो उसे भूलना काफी मुस्किल होता है। महोब्बत का जिक्र करे तो हमे लैला-मजनू,हीर-रांझा और सोनी-महीवाल जैसी कई कहानियां बताई जाती है। आज हम ऐसे प्रेमी युगल के बारे में बताने वाले है, जिनकी कहानी जानकार आप भी रो देंगे।

“गदर: एक प्रेम कथा” बुटा सिंह की सच्ची प्रेम कथा पर आधारित है। आज हम वहीं बूटा सिंह की पूरी कहानी विस्तार से जानेंगे।

बूटा सिंह कौन थे? Boota Singh Gadar

बूटा सिंह एक ब्रिटिश सेना के सिपाही थे, जिनका जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था। वह अंग्रेज़ आर्मी मे सिपाही थे। मीडिया अकाउंट्स के मुताबिक, उन्होंने लॉर्ड माउंटबेटन की कमान में दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था,जो कि यह एक वीरता की निशानी है। विभाजन के बाद, हिंदू-मुस्लिम दंगों और महिलाओं पर होने वाली यातनाओं के बीच, बूटा सिंह ने अपनी जान जोखिम में डालकर, वीरतापूर्वक ज़ैनब नाम की एक मुस्लिम लड़की को बिना कुछ आंच आए सही सलामत बचाया था। इस दौरान बूटा सिंह और ज़ैनब नामक एक मुस्लिम लड़की के बीच प्यार का रिश्ता बन जाता है।

और इसी तरह “गदर एक प्रेम कथा” फिल्म को बूटा सिंह के जीवन आधारित बनाया गया है। जिसमें बूटा सिंह के रूप में सनी देओल और जैनब के रूप मेंअमीषा पटेल ने जगह ली है।

आगे हम बूटा सिंह और जैनब की पूरी कहानी जानेंगे, इस कहानी का अंत इतना दर्दनाक है कि आप भी पढ़ते-पढ़ते रो पड़ोगे।

‘गदर’ बूटा सिंह और जैनब की कहानी को दर्शाती है

“गदर: एक प्रेम कथा” 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन की घटनाओं का वर्णन करती है। फिल्म में सनी देओल एक सरदार और अमीषा पटेल एक मुस्लिम लड़की की भूमिका में हैं। यह कहानी बूटा सिंह और ज़ैनब की मार्मिक प्रेम कहानी से काफी मिलती-जुलती है, एक ऐसी कहानी जिसने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लोगों को गहराई से प्रभावित किया। विभाजन के दौरान सांप्रदायिक अशांति की पृष्ठभूमि पर आधारित, ब्रिटिश सेना के पूर्व सिख सैनिक बूटा सिंह एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। दंगों की अराजकता के बीच, ज़ैनब नाम की एक मुस्लिम लड़की खुद को खतरे में पाती है, और बूटा सिंह ही बहादुरी से उसकी जान बचाता है।

बूटा सिंह और जैनब पे आधारित बनी: ‘गदर’

“गदर: एक प्रेम कथा” यह मूवी 2001 मे रिलीज हुई थी, और आते ही यह मूवीने भौंकाल मचा दिया था। यह मूवी का क्रेज इतना बढ गया था कि लोग गांव से ट्रक और ट्रैक्टर लेकर मूवी देखने के लिए थिएटर आते थे। 2001 में आने वाली ‘गदर’ सबसे ज्यादा रेकॉर्ड तोड कमाई करने वाली,जबरदस्त एक्शन,दर्दनाक कहानी और खूबसूरत-मजेदार गाने से भरपूर आनंद देने वाली फिल्म है। इस फिल्म नें दर्शको के दिल पे राज करके पर्मनेन्ट जगह बनाली है।

ज़ैनब और बूटा सिंह की असली प्रेम कहानी

भारत के विभाजन की उथल-पुथल के बीच बूटा सिंह सांप्रदायिक उथल-पुथल में फंसी पाकिस्तानी लड़की ज़ैनब के लिए एक मसीहा बनकर उभरे थे। समय के साथ-साथ उनका रिश्ता एक प्यार में बदल गया, वे एक प्रेमी युगल बन गए,और वे दोंनो एक दूसरे के प्यार में डूब गए। उनके मिलन से उन्हें दो बेटियाँ, तनवीर और दिलवीर का आशीर्वाद मिला। फिर भी, उनकी मार्मिक प्रेम कहानी ने विभाजन के एक दशक बाद एक दुखद मोड़ ले लिया, जब भारत और पाकिस्तान दोनों ने उन महिलाओं को वापस लाने का फैसला किया जो अपने परिवारों से अलग हो गई थीं। तभी ज़ैनब को उसकी बड़ी बेटी के साथ पाकिस्तान के एक अनोखे गाँव नूरपुर में वापस भेज दिया गया जहाँ पर उसका परिवार रहता था और बूटा सिंह भारत में ही रह गए।

Boota Singh Gadar
Boota Singh Gadar

बूटा सिंह अपनी पत्नी और बच्चे के भीषण वियोग से टूट गये थे। वह अपने परिवार को फिर से मिलाने की भरपूर इच्छा से प्रेरित होकर, उन्होंने दिल्ली की यात्रा की और अधिकारियों से गुहार लगाई, फिर भी उनके प्रयासों का कोई अनुकूल परिणाम नहीं निकला। कैसे मिला होगा बूटा सिंह अपने परिवार से ? आगे हम विस्तार से जानेंगे।

बूटा सिंह को क्यों अपना आना पड़ा इस्लाम धर्म?

एक कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए, बूटा सिंह ने इस्लाम अपनाने का फैसला किया और अपनी पत्नी और बेटी को वापस लाने के लिए पाकिस्तान जाने का संकल्प भी ले लिया। हालाँकि, अपने गंतव्य तक पहुँचने पर, उसे भाग्य के एक चौंकाने वाले उलटफेर का सामना करना पड़ा था।

ज़ैनब के परिवार ने उनको सिरे से खारिज कर दिया, उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया गया। उसके बाद बूटा सिंह को अदालत में हाजिर किया गया। पारिवारिक दबाव में, ज़ैनब ने बूटा सिंह के साथ अदालत में जाने से इनकार कर दिया, और उसने दुसरी शादी करने और पाकिस्तान के भीतर रहने का इरादा व्यक्त किया, जबकि बूटा सिंह के साथ किसी भी संबंध को पूरी तरह से खारिज कर दिया। ज़ैनब ने अपनी दोनों बेटियों की ज़िम्मेदारी भी पूरी तरह से बूटा सिंह के कंधों पर डाल दी। और आखिर में जैनब ने दूसरी शादी कर ली थी। यह बात बूटा सिंह जानते हैं तो पूरी तरह से टूट जाते हैं।

बूटा सिंह को गंवानी पड़ी अपनी जान

जैनब ने जब दुसरी शादी कर ली थी, तब यह हादसे से बूटा सिंह अंदर से टूट गए थे। इससे आहत होकर बूटा सिंह और उनकी बेटी ने 1957 में पाकिस्तान के शाहदरा स्टेशन पर आती ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी थी। इस तथ्य के बावजूद कि इस दुर्घटना में बेटी जीवित रही।

Boota Singh Gadar
Boota Singh Gadar

मरने से पहले बूटा सिंह ने अपने लिए एक नोट छोड़ा। उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार बर्की गांव में किया जाए, जहां ज़ैनब और उनके माता-पिता विभाजन के दौरान स्थानांतरित हो गए थे। लाहौर में शव परीक्षण के बाद उनके शव को गांव वापस लाया गया, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें मैनी साहिब कब्रिस्तान में दफनाने पर आपत्ति जताई और वहां उसे दफनाया नहीं गया। इस तरह से ज़ैनब के परिवार ने उसकी अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं की।

बूटा सिंह की कब्र पर विवाद

बूटा सिंह, जिन्हें “शहीद-ए-आज़म” के नाम से भी जाना जाता है, उनको लाहौर के सबसे बड़े कब्रिस्तान “मियानी साहिब” में दफनाया गया था। प्रेम में विश्वास रखने वाले प्रेमियों के लिए यह एक दरगाह के बराबर था। लोग वहां अक्सर कब्र पर फूल चढ़ाने जाते थे।

कुछ व्यक्तियों का मानना था कि मिट्टी के दफ़न को ईंट की इमारत से ढक दिया जाना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए एक “पवित्र स्थान” था। गौरतलब है कि कुछ लोगों ने एक सिख को इस तरह का सम्मान देना उचित नहीं समझा। एसा माना जाता है कि “बूटा सिंह” की कब्र का निर्माण पागलों द्वारा किया जाता था, और कुछ खराब लोग रात भर में इसे तोड़ देते थे। यह संघर्ष कई दिनों तक चला

बूटा सिंह की कब्र को बाद में प्राकृतिक कारणों से नष्ट कर दिया गया। सिपाही बूटा सिंह का दफ़न अभी भी मिट्टी का था; इस पर ईंटों की कोई इमारत नहीं बनाई जा सकती।

बूटा सिंह किरदार पर बनी है कई सारी फिल्में

बूटा सिंह के आधर पर कई सारी फ़िल्में बनी है। जिसमें 2001 में आयी ‘गदर’ की कहानी इससे थोड़ी अलग है. उनकी कहानी ने कई अन्य फिल्मों को प्रेरित किया है, जिनमें 2007 की कनाडाई फिल्म पार्टीशन और 2004 की बॉलीवुड फिल्म वीर-ज़ारा भी शामिल हैं। इसके अलावा उनकी कहानी पर आधारित “मुहब्बत” नामक किताब भी लिखी गई है। जिसमें इशरत रहमानी नाम की लेखिका है।

तो दोस्तों यह थी बूटा सिंह की दुखद और दर्दनाक प्रेम कहानी, जिन्हें पहली बार जानकर हर किसी कि आँखे भर आती है। हम आशा रखते हैं, कि यह कहानी आपको पसंद आयी होगी और आपके दिल मे भी बूटा सिंह के प्रति दुखद भावनाए उत्पन हुई होगी। ऐसी ही नयी जानकारी जानने के लिए हमारी वेबसाइट की मुलाकात करते रहे।

 

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