‘सुहागरात’ के बाद बदल ही गई पहचान… नहीं रहे सबको हंसाने वाले जूनियर महमूद, ऐसा क्या हुआ उस रात?

Junior Mahmood Last Interview: पेट के कैंसर से जूझने के बाद अभिनेता जूनियर महमूद ने आखिर जिंदगी की जंग हार ली। हिंदी सिनेमा में उनका स्टारडम ऐसा रहा, जिसकी जितनी तारीफ की जाए शायद कम ही है। फिल्म इंडस्ट्री के लिए उनका जाना सबसे बड़ा दुख है। इस बीच उनका एक इंटरव्यू खूब चर्चा में है, जिसमें उन्होंने फिल्मों को लेकर कुछ ऐसा कहा, जो लोगों के दिलों में घर कर गया।

जूनियर महमूद ने अमर उजाला को एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी पैदाइश बेहद ही साधारण परिवार में हुई। पिता मसूद अहमद सिद्दीकी रेलवे में इंजन ड्राइवर के तौर पर काम करते थे और पिता ने ही नाम रखा था- मोहम्मद नईम सैय्यद।

 

अगर बात करें उनकी पहली फिल्म के लिए मिलने वाले वेतन के बारे में, तो उनका कहना है कि कितना नाजुक है दिल फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने फिल्म में बाल कलाकार की भूमिका अदा की थी। मैं फिल्म में अपनी लाइनें बार-बार भूलता जा रहा था। इसके बाद जब मैंने शॉट दिया तो सबने तालियां बजाईं। इसके बाद मुझे पांच रुपये मिले। उस जमाने में पांच रुपये बहुत बड़ी रकम होती थी।

पहला ब्रेक पाने के बाद मैंने जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। मुझे रतन भट्टाचार्य की फिल्म सुहागरात में महमूद साहब के साले का रोल करने का मौका मिला। इसके बाद मैं उनसे काफी घुलमिल गया। उनकी बेटी के जन्मदिन के मौके पर घर गया तो मैंने वहां भाईजान के गाने काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं पर डांस किया। इसके बाद भाईजान ने खुशी के मारे मुझे अपनी गोद में उठा लिया।

इसके बाद उन्होंने मुझे अगले दिन दादर स्थित रंजीत स्टूडियो बुलाया और मेरे हाथ पर गंडा बांध लिया। इसके बाद उन्होंने मुझे अपना ही बना लिया। फिर यहीं से लोग मुझे जूनियर महमूद कहकर बुलाने लगे। इसके बाद से ही जूनियर महमूद की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। उनके निधन के बाद ये इंटरव्यू जमकर चर्चा में है।