वर्ल्ड चैंपियन निकहत ज़रीन को नहीं मिला कोई ईनाम?, गोल्ड जीत दुनिया भर में बजाया भारत का डंका

‘हम चाहते हैं कि साल 2047 में जब हम अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करने का जश्न मनाएं, भारत स्पोर्ट्स में दुनिया के टॉप-5 देशों में से एक हो. हम भारत को एक स्पोर्ट्स नेशन बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही हम खेलकूद का इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पोर्ट्स साइंस सेंटर, कम्यूनिटी कोचिंग की सुविधाओं के साथ इंटरनेशनल लेवल के कोच और सालाना स्पोर्ट्स इवेंट के आयोजन जैसे कदम भी उठा रहे हैं.

भारत क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों में कभी भी बहुत अच्छा नहीं रहा. और इसी वजह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मसले पर सुनियोजित तरीके से काम करने पर मजबूर किया.’

गृहमंत्री अमित शाह ने आज की तारीख से तक़रीबन तीन हफ्ते पहले, मंगलवार 3 मई 2022 को ये बातें बोली थीं. वह बैंगलोर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की क्लोजिंग सेरेमनी में बोल रहे थे. और दुनिया जानती है कि हमारा देश चैंपियन एथलीट्स को सम्मानित करने में यकीन रखता है. फिर चाहे वो ओलंपिक्स मेडल विनर्स हों या क्रिकेट में झंडे गाड़ने वाले लोग. सबको ही तमाम सारे इनाम दिए जाते हैं. और इन इनामों में रुपये-पैसे का बड़ा हिस्सा रहता है.

हालांकि कई लोग इस कल्चर को गलत मानते हैं. उनका तर्क है कि एक मेडलविनर को करोड़ों देने की जगह हमें वो पैसा खेलों के विकास में लगाना चाहिए. जो कि कई बार सही भी लगता है. लेकिन आज उस बहस में नहीं पड़ेंगे. आज की चर्चा मेडलविनर्स को मिलने वाले पैसों पर केंद्रित रहेगी. क्योंकि इन पैसों के आने से पहले उनका जीवन अक्सर बहुत अभावों में बीतता है.

#Nikhat Zareen Prize Money

किसी के पास घर नहीं होता, किसी के पास खाने-कपड़े का टोटा रहता है. ऐसे में यह पैसे उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं. और लोग कहते भी तो हैं कि पैसों से बड़ी प्रेरणा कुछ नहीं होती. ऐसे में अगर कोई दुनिया जीत कर लौटे और उसे किसी तरह का इनाम ना मिले? लोग बस सूखी बधाई देकर काम चला लें तो उसे कैसा लगेगा?

बहुत बुरा लगेगा. भले ही वो पब्लिक में आकर कोई बयान ना दे. लेकिन बुरा तो लगेगा ही. शत-प्रतिशत लगेगा. और ऐसा ही कुछ इस वक्त 52Kg की वर्ल्ड चैंपियन निकहत ज़रीन को लग रहा होगा. ज़रीन ने बीते गुरुवार, 19 मई को वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. और इस जीत को ठीकठाक वक्त बीत चुका है. लेकिन अगर आप गूगल पर जाकर ये जानना चाहें कि निकहत को इस जीत के बाद इनाम में क्या कुछ मिला? तो आपको बस एक ख़बर दिखेगी- तेलंगाना कांग्रेस के प्रेसिडेंट ने निकहत को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

जी हां, दुनिया जीतकर लौटी निकहत को टेस्ट मैच की प्लेइंग XI में जगह ना बना पाने वाले क्रिकेटर से भी कम पैसे मिले हैं. टाइम्स नाउ के मुताबिक टेस्ट मैच खेलने वाले इंडियन क्रिकेटर्स को हर मैच के 15 लाख मिलते हैं. जबकि प्लेइंग XI से बाहर बैठने वालों को इसका आधा. हालांकि इस बात से मैं एकदम ये नहीं कह रहा कि निकहत को इनाम ना मिलने का कुसूरवार BCCI ये हमारे क्रिकेटर्स हैं. ऐसा बिल्कुल नहीं है.

इनसे तो अपनी शिकायत कोनी. शिकायत है सरकार में बैठे उन लोगों से, जो भारत को खेलप्रधान देश बनाने के दावे कर रहे हैं. जो क्रिकेटर्स को हर अचीवमेंट्स पर पैसों से तोलने के लिए तैयार रहते हैं. और सिर्फ क्रिकेटर्स ही क्यों? ओलंपिक्स मेडल लाने वालों को भी तो खूब पैसे दिए जाते हैं. फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट के साथ ये भेदभाव क्यों? थॉमस कप जीतने वाली टीम को एक करोड़ देने वाले खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने निकहत के लिए किसी तरह के इनाम की घोषणा क्यों नहीं की?

भारत को स्पोर्टिंग नेशन बनाने का दम भरने वाले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने निकहत की ओर से आंखें क्यों फेर रखी हैं? क्या उन्हें ये अचीवमेंट छोटी लग रही है? कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स के मेडल से भी छोटी? पूरी दुनिया के बेस्ट बॉक्सर्स को हराकर गोल्ड लाई निकहत ने शादी की चिंता कर रही अपनी अम्मी को तो बोल दिया था,

‘अरे अम्मी, टेंशन नक्को लो, नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी.’

लेकिन क्या वो इस देश के मालिकों का रवैया देखने के बाद अपने जूनियर बॉक्सर्स को बोल पाएंगी?

‘अरे छोटू, टेंशन नक्को लो. अच्छा खेलोगे तो इनामों की लाइन लग जाएगी?’

शायद नहीं. और यही इस देश का दुर्भाग्य है. ओलंपिक्स में मेडल्स सबको चाहिए लेकिन सिस्टम से चलाते हुए सिस्टम की मदद से स्पोर्ट्स सिस्टम को रेगुलेट कोई नहीं करना चाहता.

thelallantop से साभार

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