हिंदी सिनेमा के महानतम अभिनेता और ट्रेजेडी किंग (Tragedy King) के नाम से मशहूर दिलीप कुमार (Dilip Kumar) इस दुनिया से रुखसत हो गए हैं।
98 वर्ष की उम्र में बुधवार सुबह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान (Yusuf Khan) था। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। जब उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो दिग्गज अदाकारा देविका रानी ने उनका नाम बदलकर दिलीप कुमार रख दिया और इसी नाम से यह महान अभिनेता बॉलीवुड का दिग्गज सितारा बनकर चमका।
पाली हिल में बंगला
हाउसिंग डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिलीप कुमार और सायरा बानू का बंगला पाली हिल में है। इस आलीशान बंगले का मौजूदा मार्केट प्राइस 350 करोड़ रुपये है। हालांकि इस बंगले को लेकर लंबे वक्त तक विवाद चला था। लेकिन लंबी जद्दोजहद के बाद इस बंगले का अधिकार दिलीप कुमार और उनकी पत्नी सायरा बानो को मिल गया है। सायरा बानो इस बंगले को नए सिरे से तैयार करना चाहती हैं।
क्या था विवाद
दिलीप कुमार ने 1953 में इस बंगले को कमरुद्दीन लतीफ से 1.4 लाख रुपये में खरीदा था। 1923 में लतीफ ने जिस प्लॉट पर यह बंगला बना है, उसे मुलराज खतायु के परिवार से 999 सालों की लीज पर लिया था। इस बंगले पर विवाद तब शुरू हुआ, जब समीर भोजवानी नाम के एक लोकल बिल्डर ने यह दावा किया कि प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलीप कुमार के बजाय भोजवानी का है। दिलीप कुमार केवल एक किराएदार हैं। भोजवानी का दावा था कि 1980 में उनके पिता ने इस विवादास्पद प्रॉपर्टी को खरीदा था। लेकिन साल 2019 में यह साबित हो गया कि दिलीप कुमार प्रॉपर्टी के किराएदार नहीं बल्कि स्थायी पट्टेदार हैं।
2,000 वर्ग मीटर में है फैला
दिलीप कुमार का बंगला 2,000 वर्ग मीटर में फैला है। पाली हिल मुंबई के पॉश इलाकों में शामिल है। इस इलाके में कई बॉलीवुड हस्तियों जैसे ऋषि कपूर, आमिर खान और संजय दत्त के घर भी मौजूद हैं। दिलीप कुमार का बंगला सिर्फ बाहर से ही खूबसूरत नहीं है बल्कि इस बंगले का इंटीरियर भी शानदार है। इस घर में सुंदर सफेद संगमरमर का फर्श है, जिसमें लकड़ी का फर्नीचर इसकी सुंदरता में इजाफा करता है।
सैंडविच स्टॉल से की शुरुआत
दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अपने होमटाउन से जब पुणे आए तो उनकी मुलाकात एक बुजुर्ग एंग्लो इंडियन कपल से हुई, जो पारसी कैफ चलाता था। उस कपल ने दिलीप साहब की मुलाकात कॉन्ट्रैक्टर से करवाई और उसकी मदद से उन्होंने पुणे के एक आर्मी क्लब में सैंडविच स्टॉल खोला। वहां से जब वह मुंबई आए तो उनके पास 5000 रुपये थे। दिलीप साहब ने 1944 में आई ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की।