प्यार हुआ था… लेकिन अधूरी रह गई प्रेम कहानी, जानिए रतन टाटा ने क्यों नहीं की थी शादी

रतन टाटा दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन वो हमेशा देशवासियों के दिलों में राज करेंगे. वो बड़े कारोबारी थे, कारोबार के साथ-साथ उन्होंने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाई. हर कोई आज उनकी निजी जिंदगी के बारे में जानने चाहते हैं, उनके परिवार में कौन-कौन हैं?

दरअसल, रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की, जीवन भर वे देश की तरक्‍की और दूसरों के बारे में सोचते रहे. वे भारत के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोगों के लिए एक मिसाल से कम नहीं थे. उन्‍होंने Tata Group को अपनी सूझबूझ से बुलंदियों पर पहुंचाया और आज भी टाटा ग्रुप भारत की सबसे ज्‍यादा कंपनियों वाला ग्रुप है.

टाटा ग्रुप इतना बड़ा है कि यह नमक से लेकर जहाज तक बनाता है. रतन टाटा ने अपने जीवन में कई कामयाबी हासिल की थी. उन्‍हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्‍मानित किया गया था. क्‍या आप प्रेम कहानी के बारे में जानते हैं? उन्‍होंने खुद ही ये कहानी शेयर की थी.

रतन टाटा को सताता था ये दर्द
रतन टाटा के पास सब कुछ था, लेकिन उन्हें एक दर्द था, जिसका जिक्र उन्होंने अपने मैनेजर शांतनु की स्टार्टअप Goodfellows की ओपनिंग के दौरान किया था. उन्होंने कहा था, ‘आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते तब तक अहसास नहीं होगा.’ 85 साल के बैचलर रतन टाटा ने कहा था कि जब तक आप वास्तव में बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने का मन बिल्कुल भी नहीं करता.

प्यार हुआ, पर नहीं हो सकी शादी
रतन टाटा की शादी नहीं हुई थी, लेकिन उनकी भी एक प्रेम कहानी रही थी, लेकिन ये प्‍यार अधूरा रह गया. Ratan Tata को एक कंपनी में काम करने के दौरान लॉस एंजिल्स में प्यार हुआ था, लेकिन वो उस लड़की से शादी करने ही वाले थे. तभी अचानक उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा, क्‍योंकि उनकी दादी की तबीयत ठीक नहीं थी. रतन टाटा को ये लगा था कि जिस महिला को वो प्‍यार करते हैं वह भी उनके साथ भारत भी आ जाएगी. रतन टाटा के मुताबिक, ‘1962 की भारत-चीन लड़ाई के चलते उनके माता-पिता उस लड़की के भारत आने के पक्ष में नहीं थे और इस तरह उनका रिश्‍ता टूट गया.’

Ratan Tata

प्रेरणास्रोत थे Ratan Tata
रतन टाटा की शख्सियत की बात करें तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे. वे अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे, इसके कई उदाहरण सामने हैं. इसके अलावा उन्हें जानवरों से, खासतौर पर स्ट्रे डॉग्स से खासा काफी लगाव था. वे कई गैर सरकारी संगठनों और Animal Shelters को दान भी करते थे. इसके अलावा वे किसी भी विपदा की स्थिति में हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे फिर चाहे वो मुंबई 26/11 अटैक हो या फिर Corona महामारी.

कमान संभालने से पहले किया था काम 
साल 1868 में शुरू हुए कारोबारी घराने की कमान अपने हाथों में लेने से पहले रतन टाटा (Ratan Tata) ने 70 के दशक में टाटा स्टील (Tata Steel), जमशेदपुर में काम किया. जब कारोबार की सभी बारीकियां समझ में आ गई फिर उन्होंने ग्रुप में अपनी दमदार एंट्री की और अपनी मेहनत और काबिलियत की दम पर घरेलू कारोबार को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया. रतन टाटा ने 1991 में पूरे ग्रुप की कमान अपने हाथों में ली थी.